हरेश कुमार
इतिहास गवाह है सनातन हिंदू धर्म ने ना ही कभी किसी के पूजास्थल का अपमान किया। ना ही विध्वंस किया और ना ही किसी के पूजास्थल को तोड़कर उस पर मंदिर खड़ा किया।
ये तो लुटेरे आतंकियों का कौम है, जिन्होंने सनातन मंदिरों को तोड़ा, उसके मलबों से मस्जिद बनाया या मंदिर को ही मस्जिद में तब्दील कर दिया, ताकि हिंदुओं को नीचा दिखाया जा सके। लुटेरों के पास सैकड़ों साल तक सत्ता रही। तब जमीन की भी कमी न थी, वे चाहते तो कहीं भी मस्जिदों का निर्माण कर सकते थे, लेकिन उन्होंने हमारे आराध्य भगवान श्री राम की जन्मभूमि, भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि, माता सरस्वती और श्रीहरि को समर्पित प्रसिद्ध मंदिरों को निशाना बनाया, ताकि हिंदुओं को नीचा दिखा सकें।
समय का चक्र घूमा और आज उन मस्जिदों सनातन धर्म पूरे सबूत के साथ अपना दावा पेश कर रहा है। अयोध्या में भगवान श्रीराम की जवन्मस्थली को हम 492 साल बाद वापस पा चुके हैं। इसके लिए लाखों हिंदुओं ने अपने प्राणों की बलि दी। बनारस में ज्ञानवापी मंदिर भी कुछ दिनों में वापस आने वाला है। मथुरा में श्रीकृष्ण भगवान के जन्मस्थान पर बने मस्जिद की हालत भी ऐसी ही है। भोजपुर में माता सरस्वती मंदिर से लेकर संभल में श्रीहरि मंदिर ही नहीं ऐसे हजारों मंदिरों की कहानी है, जिसे मस्जिदों में तब्दील कर दिया गया।
अब जबकि हम सबूतों के साथ सामने आ रहे हैं, तो कन्वर्टेड कटुओं को दर्द होने लगा है। पिछले दिनों संभल जामा मस्जिद के श्रीहरि मंदिर होने का सर्वे कराने के कोर्ट के आदेश पर कटुओं ने दंगा करा दिया। इन सबको हकीकत मालूम है। भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में रही इस मस्जिद पर कटुओं ने जबरदस्ती अधिकार कर रखा है। यह अधिकार अब ज्यादा समय तक रहने वाला नहीं है। ये खुश रहे या नाराज रहें। अपने घर रहें।
ये वही हैं, जिनके पूर्वजों ने सनातन धर्म की पीठ में छुरा भोंका है और थोड़े-से लालच के कारण लुटेरों के तलवार के डर या लूट के सामान और सत्ता में भागीदारी के लालच से धर्म परिवर्तन कर लिया। भारत भूमि पर रहने वाला हर व्यक्ति सनातनी है और सबका मूल एक ही है। तलवार के डर से सलवार उठाने वालों को आजकल बहुत समस्या होने लगी है।
यह वर्ग आजकल सोशल मीडिया पर दुबई में स्थित बुर्ज खलीफा को सनातन मंदिर होने का फर्जी लोगो लगा मीम वायरल कर रहा है। इनकी मानसिक स्थिति से हम सभी परिचित हो तुके हैं। ये अमेरिका के प्रेसिडेंट हाउस को लेकर भी मीम वायरल कर रहे।
इन्हें हम स्पष्ट रूप से बता देना चाहते हैं कि सनातन धर्म के अनुयायियों ने कभी किसी मजहब या कौम को नीचा दिखाने का काम नहीं किया। ना ही किसी जीते हुए इलाके की महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। सबको समान इज्जत दी। यही कारण है कि इतिहास में कहीं भी सनातन धर्म के बारे में कोई गलत उल्लेख नहीं है।
भारत में तथाकथित प्रगतिशील बुद्धिजीवी नाम की प्रजाति कटुओं से बहुत ज्यादा हमदर्दी रखती है। दुनिया में 57 मुस्लिम देश है, वहां यह बौद्धिक प्रजाति नहीं पाई जाती है, वहीं कम्युनिस्टों के देश में कटुओं को कोई अधिकार नहीं है। ये सारे भारत में ही बिलबिलाते हैं और मानवाधिकार की बातें करते हैं। इन सबका मानवाधिकार भी आतंकियों और नक्सलियों व देशद्रोहियों के लिए होता है। सेना और पुलिस के अधिकारियों के लिए इनका कोई मानवाधिकार नहीं होता।
यह प्रजाति 2014 से ही खूनी बबासीर से पीड़ित है और इसका दर्द अब कभी कम नहीं होने वाला है।
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