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मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर उठ रहे सवाल लोकसभा चुनाव के बाद गदहे के सिंग की तरह गायब हो जाएंगे

हरेश कुमार



कोविशील्ड से हार्ट अटैक , कार्डियक अरेस्ट की खबर लोकसभा चुनाव के बाद गदहे के सिंग की तरह गायब हो जाएगी।
यह सब सरकार के खिलाफ सुनियोजित षडयंत्र की तरह है। कोरोना के समय स्थिति भयावह थी और उस समय सरकार से लेकर दुनियाभर में बहुत ज्यादा दबाव था कि जल्द से जल्द ऐसी वैक्सीन आए, जिससे लोगों को राहत मिले। वैक्सीन आने से पहले हम सभी ने देखा कि किस तरह से कुछ इंजेक्शन कई -कई लाख रुपये में लगाए जा रहे थे। कालाबाजारी जोरों पर थी।
यह सही है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट हैं और कोरोना के बाद से काफी लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट की वजह से चल बसे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं। इसके बावजूद वैक्सीन को लेकर सरकार को कटघेरे में खड़ा करना एक तरह की कुंठा है और कुछ नहीं। उस समय की स्थिति को याद कीजिए, तब अस्पतालों में जगह नहीं थी, ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी थी। यहां तक कि देश में स्टैंडर्ड मास्क तक न थे। चीन ने पाकिस्तान को ब्रा काटकर N-95 नाम से मास्क भेज दिया था।
पूरी दुनिया चीन द्वारा सुनियोजित तरीके से फैलाये गए कोरोना महामारी की चपेट में कराह रही थी। कोरोना का भय इतना था कि लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार से दूर रहे। वही लोग मृत व्यक्ति के शरीर से महंगे आइटम्स की खोजबीन कर हे थे। जैसे कि सोने कीअंगूठी, मोबाइल, चेन, कीमती घड़ी। मानवता कराह रही थी। कितनों ने अपने मां-बाप, भाई-बहन का मुंह तक नहीं देखा। कितनों ने फोन बंद कर लिया। लोग असहाय हो चुके थे।
तब देश में कोरोना की वैक्सीन आई और लोगों को राहत मिली। जल्दबाजी में तैयार की गई वैक्सीन में हो सकता है कि कमियां हों, यह स्वाभाविक है, क्योंकि समय के अभाव और मृतकों के बढ़ते आंकड़ों की वजह से ट्रायल का उतना समय नहीं मिला कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर समय दिया जाए और उसे कम किया जा सके।
कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर कल से ही तथाकथित प्रगतिशील विचारधारा के लोग और मुस्लिम नरेंद्र मोदी को लेकर असभ्य टिप्पणी कर रहे हैं। सोशल मीडिया एक्स पर मोदी को गिरफ्तार करने और फांसी देने की मांग चलाई जा रही है। दरअसल , ये वो लोग हैं, जो 2014 से ही नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ लगे हुए हैं। ये लोग हर वो मुद्दा लपक लेते हैं, जिसमें इन्हें पब्लिक में भुनाने का माद्दा दिखता है। कोविशील्ड भी ऐसा ही मुद्दा है।
कोविशील्ड पर सरकार को गाली देने से पहले उस समय की परिस्थितियों को भी एक बार याद कर लेते और फिर, जितनी मर्जी हो, गाली देते तो अच्छा होता। जो लोग कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी और मोदी को गालियां दे रहे, इन्हें कोस रहे, वही लोग चीन पर मुंह नहीं खोलते, क्योंकि चीन से इनकी वैचारिक सहमति है। जिस चीन ने पूरी दुनिया को कोरोना जैसी घातक महामारी दी, उसके बारे में जिक्र तक नहीं करना चाहते। ये इनका दोगलापन है और ये कोई आज की बात नहीं है। ये शुरू से ही है और आगे भी रहेगा। ऐसे लोगों से हमें लड़ना है।
मैं अपने बारे में बता दूं कि मैंने कोविशील्ड का तीन डोज लिया है। मैं डायबिटिक भी हूं, लेकिन इस तरह के दुष्प्रचार से मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, भले ही कल होकर मैं चल बसूं। हमने उन परिस्थितियों को देखा है, जब श्मशान में जगह नहीं मिल रही थी।

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