67 सीटों के दम पर अगर आम आदमी पार्टी और इसके नेताओं को लगता है कि दिल्ली नगरनिगम के चुनाव में 200 प्लस सीट निकाल ले जाएंगे ,तो इन सबको मानव व्यवहार संस्थान, शाहदरा (दिल्ली) में एडमिट होकर मानसिक चिकित्सा कराने की जरूरत है।
इस थ्योरी के अनुसार, दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा था। इस लिहाज से गर देखा जाए तो विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का खाता ढी नहीं खुलता और न ही कांग्रेस की इतनी दुर्गति होती।
भाजपा को उसके अपने नेताओं ने ही हराया था न कि बाहर के लोगों ने। चाहो तो वोट प्रतिशत देख लो एकबार।
किरण बेदी के सीएम कैंडिडेट घोषित करने के बाद पार्टी में मचे अंदरूनी कलह और घमासान ने कहीं का नहीं छोड़ा।
अगर, केजरीवाल की थ्योरी लागू होती तो यूपी में आज बसपा या सपा की सरकार होती।
इससे भी हटकर कांग्रेस जाती ही क्यों?
मुझे तो इस आदमी की सोच पर तरस आता है। शक होता है कि यह आईआईटी खडगपुर में पढ़ाई कैसे किया?
इस थ्योरी के अनुसार, दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा था। इस लिहाज से गर देखा जाए तो विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का खाता ढी नहीं खुलता और न ही कांग्रेस की इतनी दुर्गति होती।
भाजपा को उसके अपने नेताओं ने ही हराया था न कि बाहर के लोगों ने। चाहो तो वोट प्रतिशत देख लो एकबार।
किरण बेदी के सीएम कैंडिडेट घोषित करने के बाद पार्टी में मचे अंदरूनी कलह और घमासान ने कहीं का नहीं छोड़ा।
अगर, केजरीवाल की थ्योरी लागू होती तो यूपी में आज बसपा या सपा की सरकार होती।
इससे भी हटकर कांग्रेस जाती ही क्यों?
मुझे तो इस आदमी की सोच पर तरस आता है। शक होता है कि यह आईआईटी खडगपुर में पढ़ाई कैसे किया?
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