जवाहरलाल नेहरू की राजनीतिक गलतियों का खामियाजा हम भारतीय भी तक भुगत रहे हैं।चीन आज भी1962 में जी रहा है। इसको टुकड़े टुकड़े देखना हर भारतीय की पहली इच्छा होनी चाहिए। प्रेम की भाषा और भावनाओं को लातों के देवता चीनी नेताओं की समझ में कभी नहीं आने वाली है। पंचशील के नारों-हिंदी चीनी भाई-भाई का हश्र हम देख और भुगत चुके हैं। #NarendraModi Pmo India ने इन्हें गुजरात बुलाकर झूला भी झूला दिया, लेकिन ये लतखोर कभी भी अपनी आदतों से बाज नहीं आने वाला है। यह पाकिस्तान और उसकी आतंकी संगठन गतिविधियों का हर मोर्चे पर समर्थन करता रहेगा। इन सबको और इसका इतिहास को देखते हुए चीनी और पाकिस्तानी कुत्तों पर कभी भरोसा न करें और यथासंभव इस दोनों को जितना कमजोर कर सकते हैं हर मोर्चे पर करें और खुलकर करें।
भारत सरकार और हर भारतीय को चाहिए कि वह चीन और चीन में बने सामानों का पूरी तरह से बहिष्कार करे। इसे झूला झूलने की नहीं लतियाने की जरूरत है।
तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिंधु किनारे।
बैठे पढते रहे छंद अनुनय के प्यारे-प्यारे।
उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की आराम के सिर से।
सिंधु तीर धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में।
चरण पूज दास्तां ग्रहण की बंधा मूठ बंधन में।
ठीक इसी तरह से चीन के सामने हाथ जोडने की नहीं लतियाने की शख्स जरूरत है। इनसे कोई मुरब्बत न करें।
भारत सरकार और हर भारतीय को चाहिए कि वह चीन और चीन में बने सामानों का पूरी तरह से बहिष्कार करे। इसे झूला झूलने की नहीं लतियाने की जरूरत है।
तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिंधु किनारे।
बैठे पढते रहे छंद अनुनय के प्यारे-प्यारे।
उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की आराम के सिर से।
सिंधु तीर धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में।
चरण पूज दास्तां ग्रहण की बंधा मूठ बंधन में।
ठीक इसी तरह से चीन के सामने हाथ जोडने की नहीं लतियाने की शख्स जरूरत है। इनसे कोई मुरब्बत न करें।
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