मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता की आड़ में देशद्रोही गतिविधियों में शामिल अपराधियों को मध्य प्रदेश की जांच एजेंसियों ने ही गिरफ्तार करके उनके चेहरों से नकाब हटाया है, किसी और प्रदेश कई पुलिस ने नहीं और बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके परिचय दिया है सबका।
इस देश में आपराधिक छवि के लोगों को पार्टी में शामिल करना और उसे बचाना नेताओं के लिए आगे चलकर बहुत महंगा पड़ने वाला है। आने वाले दिनों में यह भस्मासुर बन जाएगा और एक दिन ऐसा आएगा जब नेताओं को अपने अस्तित्व रक्षा के लिए आपराधिक छवि के लोगों से दूर होना ही होगा। क्योंकि अब देश की जनता इनके कारनामों से आजिज आ चुकी है। आपराधिक छवि के लोग पार्टियों के लिए घातक कैंसर का रूप ले ले, इससे पहले इनके उचित सर्जरी की जरूरत है।
गुजरात में बीजेपी के कार्यकर्ताओं द्वारा एक महिला के साथ गैंगरेप और ब्लैकमेल करने के आरोपों में गिरफ्तार किया है।मुख्य धारा की सभी मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इन सबके बावजूद अवॉर्ड रिटर्न गिरोह के लोगों को दुख है कि इसे वो कवरेज नहीं मिली, जो यूपी या अन्य प्रांतों की घटनाओं को मिलती है। जैसे इन्हें खबरों के कवरेज और उलटबासियां करने से किसी ने रोका हो अब तक।
वहीं, दूसरी तरफ सूप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति (अरबों के खनन घोटाले में शामिल) पर एक महिला के साथ रेप और उसकी बेटी का यौन शोषण के मामले में पुलिस केस दर्ज करने का निर्देश दिए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह द्वारा उसका चुनाव प्रचार किया जाना इनके लिए कोई मुद्दा नहीं।
मेरे लिए मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका को नजरअंदाज कर देना उतना ही बड़ा अपराध है जितना अवॉर्ड रिटर्न गिरोह का आंख मूंदकर नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कोसना। शिवराज सिंह राज्य के मुखिया हैं और वो अपनी नैतिक जिम्मेदारियों से अगर बचते हैं तो यह भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह ईमानदारी का चोला ओढ़कर रेनकोट पहनकर बाथरूम में नहाने जैसा है।
दुनियाभर में कहीं कोई घटना घटे इन मानसिक रोगियों की एक ही मांग रही है। इसके लिए नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं, वो इस्तीफा दें।





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