आतंकवादी सरगना हाफिज सईद को पाकिस्तानी समाज के लिए खतरा बताया है- पाकिस्तान के रक्षा मंत्री मोहम्मद ख्वाजा आसिफ
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री मोहम्मद ख्वाजा आसिफ
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री मोहम्मद ख्वाजा आसिफ द्वारा जर्मनी के म्यूनिख में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन में आतंकवादी सरगना हाफिज सईद को पाकिस्तानी समाज के लिए खतरा बताया है।
अब देखने वाली बात ये होगी कि पाकिस्तान लौटने के बाद वो अपने इस बयान पर कायम रहते हैं या पहले की तरह फिर पलट जाते हैं, क्योंकि पाकिस्तान की राजनीतिक और सामाजिक हकीकत यह है कि दुनियाभर में उसकी पहचान आतंकवादियों को हर तरह का समर्थन देने की रही है।
रक्षा मंत्री के बयान से एक दिन पहले ही पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और प्रेसिडेंट रहे परवेज मुशर्रफ आतंकवादी सरगना हाफिज सईद को देशभक्त कहा है।
हाफिज सईद
ये और बात है कि प्रेसिडेंट पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में परवेज मुशर्रफ पर पाकिस्तान की अदालत में केस चल रहे हैं और वह पूर्व सेना प्रमुख राहिल शरीफ की मदद से इलाज कराने के नाम पर देश से भाग निकले हैं।
परवेज मुशर्रफ
भारत को कारगिल वॉर का जख्म इसी परवेज मुशर्रफ ने दिया था और तब प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को इसकी पूरी जानकारी थी। वहां सत्ता पर कोई रहे भारत विरोध और चीन से प्रेम छोड़ नहीं सकता। पाकिस्तानी शासक यह सोचकर खुश रहते हैं कि 1962 में चीन ने भारत को हराया था, जबकि हकीकत यह है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कूटनीतिक और राजनीतिक गलतियों के कारण भारत की सेना को हार मिली थी। अगर, भारतीय वायुसेना को अगर इजाजत मिल गई होती तो परिदृश्य कुछ और होता।नेहरू विश्वभर के नेताओं की ओर देखते रह गए और उनकी पंचशील नीति को चीनियों ने तार-तार कर रख दिया। चीन और पाकिस्तान दुनियाभर में दो ऐसे देश हैं जो किसी के भरोसे के काबिल नहीं।
नवाज शरीफ
भारत विरोध में पाकिस्तान का सत्ता प्रतिष्ठान अंधा हो चुका है। यहां तक कि पाकिस्तानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को वह चीन के हाथों गिरवी रख चुका है। चीन बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट के जरिए अपने प्रोडक्ट को दुनियाभर में पहुंचाने का रास्ता बना रहा है उसे पाकिस्तान और वहां के सत्ता प्रतिष्ठान से बस यही मतलब है। जिसदिन उसका मतलब निकल गया वह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकेला छोड़ देगा।
चीन के प्रेसिडेंट - शी जिनपिंग
सऊदी अरब और अमेरिका से उसे पहले की तरह कोई सहायता भी नहीं मिलने वाली।क्रूड ऑयल के दाम तेजी से गिरने के बाद अरब देशों की स्थिति पहले जैसी नहीं रही और अब वो अपनी अर्थव्यवस्था की गति बनाए रखने के लिए अन्य विकल्पों पर तेजी से विचार कर रहा है।यहां तक कि वहां का राजपरिवार लाखों गाय पालने लगा है और इसे लेकर बहुत गंभीर है।
सऊदी अरब और अमेरिका से उसे पहले की तरह कोई सहायता भी नहीं मिलने वाली।क्रूड ऑयल के दाम तेजी से गिरने के बाद अरब देशों की स्थिति पहले जैसी नहीं रही और अब वो अपनी अर्थव्यवस्था की गति बनाए रखने के लिए अन्य विकल्पों पर तेजी से विचार कर रहा है।यहां तक कि वहां का राजपरिवार लाखों गाय पालने लगा है और इसे लेकर बहुत गंभीर है।





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