हरेश कुमार
जयप्रकाश नारायण उर्फ जेपी आंदोलन के दौरान देशभर से लाखों लोग गिरफ्तार किए गए थे। उनमें विभिन्न दलों के नेता भी शामिल थे। कहा जाता है कि इनमें से कई नेताओं को इंदिरा जी के आदेश पर जेल में प्रताड़ना दी गई थी। इन सभी नेताओं को आपातकाल के हटते ही इसका राजनीतिक लाभ मिला। आज इनमें से कई नेता राज्य व केंद्र में मंत्री हैं या रह चुके हैं।
बिहार सरकार ने जेपी आंदोलन के दौरान 6 महीने तक जेल में रहे लोगों को 5000 रुपए महीना और 6 महीने से अधिक तक रहने वालों को 10 रुपए महीना पेंशन देने का फैसला किया है।
बिहार की सत्ता में भागीदार राजद के वरिष्ठ नेता Lalu Prasad Yadav जी भी जेपी आंदोलन के दौरान जेल गए थे और बिहार सरकार के नियमों के अनुसार, उन्हें 10 हजार रुपए महीना पेंशन मिलेगा। यह 2009 के जून महीने से मिलेगा।
क्या बिहार के इस वरिष्ठ नेता की हालत सच में इतनी दयनीय हो चुकी है कि उन्हें राज्य सरकार से पेंशन की दरकार है। ये उस नेता की बात है जो खुद मुख्यमंत्री, केंद्रीय रेल मंत्री रहा हो, जिसकी पत्नी मुख्यमंत्री रही हो और आज दो बेटा राज्य की सत्ता में भागीदार हो जिसमें एक उपमुख्यमंत्री और दूसरा स्वास्थ्य मंत्री के पद पर विराजमान हो। जबकि इसी राज्य में एक से एक ऐसे राजनेता व समाजसेवी हैंं जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया और राज्य सरकार ने कभी उसके या फैमिली की सहायता नहीं की।
जिस राज्य की एक बड़ी आबादी अपनी आजीविका के निर्वाह के लिए दूसरे राज्यों में कार्य करने को मजबूर हो। जहां अभी तक सभी निवासियों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई हो, वहां सत्ता में भागीदार ऐसे नेताओं के आचरण को देखकर किसी का माथा शर्म से झुक जाएगा।
समाजाकि न्याय के इस कथित मसीहा के ऐसे निर्णय पर धिक्कार होना चाहिए। जयप्रकाश नारायण अगर जिंदा होते तो इस निर्णय को सुनकर खुद उनका सिर शर्म से झुक जाता। राजनीति में भाई-भतीजावाद, परिवारवाद व अपराधियों को संरक्षण देने के वे सख्त खिलाफ थे और आजीवन कोई पद स्वीकार नहीं किया। आजे ऐसे नेता के नाम पर नेतागण पेंशन ले रहे हैं।
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