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गुरुवार, 12 जनवरी 2017

लालू प्रसाद प्रधानमंत्री पर अपनी राजनीतिक खींझ निकाल रहे हैं, लेकिन 'दोगला' जैसा संबोधन सही नहीं


हरेश कुमार

Lalu Prasad Yadav जैसे वरिष्ठ नेता अगर देश के प्रधानमंत्री को दोगला कहे तो आप समझ सकते हैं कि यह व्यक्ति अंदर से कितना खींझ रहा है। बिहार में बीते विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड से ज्यादा सीट मिलने के बाद भी राष्ट्रीय जनता दल के इस नेता ने चुनाव पूर्व गठबंधन के तहत जेडीयू के नेता Nitish Kumar को बिहार के मुख्यमंत्री की गद्दी सौंप दी। बदले में अपने छोटे पुत्र को उप मुख्यमंत्री तो बड़े पुत्र को स्वास्थ्य मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद दिलाया। दूसरी तरफ, जोड़तो़ड़ में माहिर राजनीति के माहिर खिलाड़ी नीतीश ने विधानसभा अध्यक्ष का पद अपनी पार्टी के पास रखा, क्योंकि वो भविष्य के लिए किसी तरह की जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।


हाल के दिनों में नीतीश कुमार और Narendra Modi के बीच बढ़ रही बातचीत और आपसी सद्भाव ने लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की नींद हराम कर दी है। लालू प्रसाद यादव चाहकर भी नीतीश कुमार पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव नहीं बना पा रहे तो वहीं नीतीश कुमार अपनी इस राजनीतिक स्थिति का भरपूर आनंद उठा रहे हैं।


इसी खींझ में आकर लालू प्रसाद यादव ने बीएसएफ के तेज बहादुर यादव द्वारा पोस्ट वीडियो की आड़ लेकर PMO India को दोगला कहकर संबोधित किया।


यह सीधे-सीधे उनकी मां को गाली दी है। क्या राजनीतिज्ञों से हम इस तरह की उम्मीद करते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal प्रधानमंत्री के लिए साइकोपैथ यानी मानसिक रोगी जैसे संबोधन करते हैं इसके बावजूद किसी को कुछ बुरा नहीं लगता, क्योंकि ऐसे लोगों की नजर सिर्फ इस पर रहती है कि आज Narendra Modi या Rashtriya Swayamsevak Sangh : RSS को किसने गाली दी। इनका सीना फुल जाता है। ऐसे लोग बुद्धिजीवी होने का दावा करते हैं व सामाजिक न्याय के मसीहा भी कहे जाते हैं।


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