पेज

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

Lalkrishna Advani अगले प्रेसिडेंट के तौर पर सर्वमान्य कैंडिडेट बनने की ओर बढ़ रहे हैं





ऐसा लग रहा है कि Lalkrishna Advani अगले प्रेसिडेंट के तौर पर सर्वमान्य कैंडिडेट बनने की ओर बढ़ रहे हैं। लालकृष्ण आडवाणी और वर्तमान President of India प्रणब मुखर्जी में एक समानता और है। दोनों पीएम पद के जोरदार दावेदार थे एक समय, लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया। भाग्य का इस्तेमाल हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि एक समय ऐसा भी था कि पीवी नरसिम्हा राव का टिकट तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने काट दिया था, ये कहकर कि आपकी उम्र हो चुकी है राजनीति से संन्यास लेने की, लेकिन दुर्भाग्य से राजीव गांधी लिट्टे आतंकवादियों के द्वारा मारे गए और नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। इन्हें चुनते समय नारायणदत्त तिवारी, जगन्नाथ मिश्रा, शरद पवार, अर्जुन सिंह, माधव राव सिधिया जैसे कई दावेदार थे। लेकिन बिहार-यूपी में कांग्रेस का कमजोर चुनावी प्रदर्शन और बाकियों के नाम पर एका न होने के कारण बेमन से सभी ने इन्हें आगे किया था,क्योंकि इन्हें लगता था कि नरसिम्हा राव ज्यादा से ज्यादा 6 महीने टिक सकेंगे और फिर जो हुआ वो एक इतिहास है।

राजनीति के चतुर खिलाड़ी नरसिम्हा राव ने अल्पमत को झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को खरीदकर बहुमत में बदल दिया और प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रतिदिन स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल के कारण न सिर्फ पूरे पांच साल गद्दी पर रहे, बल्कि देश को आर्थिक झंझावात से बाहर निकालने और उदारीकरण की प्रक्रिया को लागू करने में डॉक्टर मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाकर पूरी नैतिक और नीतिगत समर्थन दिया। एक समय ऐसा आया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रभाव में आकर डॉक्टर मनमोहन सिंह उनकी मृत्यु के बाद श्रद्धांजलि व्यक्त करने तक नहीं गए।

नरसिम्हा राव ही नहीं कई ऐसे नाम हैं जो कभी सोच भी नहीं सकते थे कि वो भारत के प्रधानमंत्री पद पर बैठ सकेंगे। देवगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल जैसे लोग ऐसे ही नामों में शामिल है। इंद्रकुमार गुजराल को बिहार से लालू प्रसाद यादव ने राज्यसभा में भेजा था और उनका पता पटना का दिया गया था। हालांकि, वे शायद ही कभी इस पते पर गए हों।

खैर, वो भी एक अलग कहानी है। इसका फायदा माननीय लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला में मिला और वो सोनिया गांधी के दरबार में लगातार हाजिरी लगाते रहे, क्योंकि सीबीआई से बचना उनकी राजनीति के लिए बेहद जरूरी थी और केंद्र सरकार सोनिया गाधी के रहमोकरम पर चल रही थी। कहने का अर्थ कि मनमोहन सिंह रिमोट कंट्रोल से ज्यादा कुछ भी नहीं थे। अन्यथा इतने सारे घोटाले उनके गद्दी पर रहते हुए,लेकिन एक बार भी उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपना मुंह नहीं खोला। अगर, वो आगे आते तो कांग्रेस की वह दशा नहीं होती जो आज है। और न ही राजनीति में केजरीवाल नाम के व्यक्ति का उदय होता। सब प्रभु की महिमा है। हाथ में लिखी हुई रेखा को कौन मिटा सकता।

In my early life I read- Luck Favours whose who prepared 99 percent but Presently I saw If your Luck Favours you have nothing to do. everything is done by almighty god. In politics and other Field I saw several people who have nothing when he/she inter in politics or in some other field, but after sometime the scenario changed 360 degree and he/she have everything which he want to have.



#President #India #LalKrishnAdvani #PranabMukherjee #CBI #LaluPrasadYadav #SoniaGandhi #ManMohanSingh #IndraKumarGujral #Devegauda 3CharaGhotala #PVNarSimhaRao #UpperHouse #JMM #SharaDPawar #ArJunSingh #MadhavRaoScindia
#NDTiwari #JagannathMishra #PM #Politics #Bhagya

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें