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सोमवार, 12 दिसंबर 2016

अरविंद केजरीवाल ने पंजाब चुनाव को देखते हुए सतलज-यमुना लिंक नहर मुद्दे पर फिर से यूटर्न लिया



पंजाब के मतदाताओं को उकसाने के लिए ईमानदारी के सरताज युगपुरुष Arvind Kejriwalने सतलज-यमुना लिंक नहर का पानी हरियाणा को देने से इनकार किया। जबकि यही पहले एसवाईएल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा का पक्ष ले चुके हैं।
इनसे कोई पूछे कि अगर हरियाणा की सरकार दिल्ली को पानी बंद कर दे तो दिल्ली की जनता को पानी कहां से मिलेगा।जबकि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पंजाब को हरियाणा के हिस्से का पानी देने का आदेश दे रखा है।


बता दें कि पंजाब और हरियाणा के बीच रावी-ब्यास नदियों के अतिरिक्त पानी को साझा करने का समझौता साठ साल पुराना है। हरियाणा राज्य बनने के बाद केंद्र ने 1976 में पंजाब को 3.5 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी हरियाणा को देने का आदेश दिया था।


इस पानी को देने के लिए 1980 में काम शुरू हो चुका था, लेकिन 95 प्रतिशत काम हो जाने के बाद पंजाब सरकार ने इसे रोक दिया। इसके बाद 1986 में हरियाणा सरकार ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी।
पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने की जगह एसवाईएल नहर के लिए अधिकृत जमीन को किसानों को लौटाने के लिए अध्यादेश भी पारित कर चुकी है। ऐसा लगता है कि ओछी राजनीति के कारण यह मामला अभी और लम्बा खिंचेगा।
संघ की स्थिति को देखते हुए सभी राज्यों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अगर, ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में परेशानी बढ़नी स्वाभाविक है।
इस नहर के पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में समझौता हुआ था।

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