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गुरुवार, 9 मार्च 2017

State Bank of India और Arundhati Bhattacharya से एक छोटा-सा सवाल



State Bank of India Arundhati Bhattacharya का कहना है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने ग्राहकों से खाता में मिनिमम बैलेंस न होने पर चार्ज वसूलेगा।
State Bank of India और Arundhati Bhattacharya से एक छोटा-सा सवाल

State Bank of India ने इस देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों, नेताओं व उनके इशारों (फोन कॉल्स या चिट्ठी या किसी सहयोगी को भेजकर बात कराना) पर करोड़ों रुपए के जो लोन दिए हैं, क्या उनकी वसूली के लिए भी इस तरह का सख्त कदम उठाया जा रहा है या आप उसे NPA में आदतन डालती रहेंगी। आप बैंक कर्मचारियों को अपने ग्राहकों से सही व्यवहार करने को सिखाने की बजाए उसे फिर से उस साहूकार के पास भेजना चाह रही हैं जिसससे मुश्किल से निजात पाया है जन-धन योजना के माध्यम से खुले खातों के बाद। 

आप ग्रामीण क्षेत्रों में निकलिए और उन्हें बैंकों के कामकाज के बारे में बताएं और ग्राहकों की समस्याओं तथा बैंक कर्मचारियों के व्यवहार पर काम करने की बजाए Narendra Modi PMO India की महात्वाकांक्षी योजना पर पानी फेरने का काम कर रही हैं। Arun Jaitley को इस मुद्दा पर ध्यान देने की जरूरत है। यह करोड़ों लोगों से जुड़ा मुद्दा है। 


State Bank of India की चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्य का मानना है कि हमारे यहां 11 करोड़ जन-धन खाते हैं और उनके मेंटेनेंस को लेकर हमें चार्ज करना ही होगा।


कुछ बैंक कर्मचारियों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश का व्यवहार बहुत ही गलत होता है। बैंक कर्मचारी किसी गरीब या फटे-पुराने कपड़ों को देखते ही उसके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं कि जैसे वो आपका ग्राहक न होकर आप उसके मालिक हों।


ग्राहक हमारे भगवान हैं, जैसे स्लोगन महज एक दिखावा बनकर रह गया है। जरूरत है इसे कार्यरूप देने की। अपवादों को छोड़ दें तो गरीब बैंक का पैसा नहीं रखता। हां, ये जो बड़े-बड़े उद्योगपति और बिजनेसमैन हैं वो एक बार में ही अरबों का लोन लेकर चंपत जरूर हो जाते हैं, लेकिन आप उन्हें कुछ नहीं कहेंगी।

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