बैलेट पेपर की लूट, बूथ छपाई और गुंडागर्दी को इतनी जल्दी भल गए हैं ये लोग, लेकिन आम मतदाताओं को सबकुछ याद है। चुनावों में हार के कारण हताशा अपनी जगह, लेकिन evm या सीधे सीधे चुनाव आयोग पर आरोप थोपने और ऐसे वक्तव्यों को अग्रसारित करने वाले बुद्धिजीवी लोगों को कोटि कोटि नमन है। मीठा-मीठा गप्प, कड़वा- कड़वा थू... उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मशीनें ख़राब थी और पंजाब गोवा और मणिपुर में ठीक काम कर रही थी। मैंने कई बार चुनाव कार्यों को बहुत ही करीब से देखा है और मेरा अनुभव ये है कि मशीनों में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है।
बिहार और उत्तर प्रदेश में वोट छापने के लिए पार्टियां गुंडों को hire कर के रखते थे और गरीब लोगों को मतदान केंद्र तक जाने भी नहीं देते थे। वो दिन दोबारा ले आना चाहते हैं कुंठित वाम बुद्धिजीवी और चुनावों में जनता द्वारा नकारे गए नेता।
जापान और अमेरिका से भारत की बराबरी कर रहे हैं ऐसे लोग। जापान के नागरिकों का राष्ट्रीय चरित्र और भारत के नागरिकों का राष्ट्रीय चरित्र स्पष्ट है। किसी व्यक्ति के लिए इतनी घृणा! इतना वैमनस्य? और कोई बहाना नहीं मिला तो मशीन द्वारा हेराफेरी का आरोप मढ़ दिया।
मैंने बिहार में अपनी नंगी आंखों से देखा है कई बाहुबलियों, दबंगों और तथाकथित जननायकों को।
अपराधियों, बाहुबलियों के डर से गरीब मतदाता वोटिंग से दूर रहने में ही अपनी भलाई समझते बाद थे। चुनाव आयोग जैसी नखविहीन और दंतविहीन संस्था कुछ नहीं कर पाती थी।
बूथ कैप्चर के लिए बाकायदा स्थानीय गुंडे और अपराधी पार्टियों और नेताओं से टेंडर लेते थे। चुनाव बाद ये नेताजी इन अपराधियों की हर तरह से मदद कियाा करते थे। बाद में जब अपराधियों ने देखा कि हमारी मदद से नेताजी चुनाव जीतते हैं तो हम खुद क्यों नहीं चुनावों में किस्मत आजमाएं और इस तरह से हर तरह के अपराधों में शामिल अपराधियों की पूरी जमात संसद और विधानसभाओं में न सिर्फ पहुंची, बल्कि इनमें से कई तो मंत्री बनने में भी सफल रहे। कल तक जो पुलिस इनको पकड़ने के लिए दिन-रात एक किए रहती थी वो अब इन्हें सलाम ठोंकने लगी और यहीं से अपराधियों का मनोबल बढ़ा तथा पुलिसवाले भी किसी अपराधी पर हाथ रखने से पहले उसके राजनीतिक कनेक्शन की पूरी तरह से जांच कर लेना जरूरी समझने लगे, वरना पता चला कि अपराधी पर कार्रवाई करने के कारण उनका ट्रांसफर ऐसी जगह कर दिया गया जहां बेसिक सुविधाएं तक मयस्सर नहीं। ऐसे एक नही सैकड़ों केस हुए हैं इस देश में।
अवैध खनन के आरोप में यूपी के मंत्री रहे गायत्री प्रजापती पर कार्रवाई के लिए ईमानदार पुलिस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने घेरा डालना चाहा तो सत्ता के इशारे पर उन्हें न सिर्फ रेप केस में फंसाया गया, बल्कि हर तरह से परेशाान किया गया। ट्रांसफर और बर्खास्तगी की जिल्लत भी झेलनी पड़ी।
बिहार में लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान ( इसमें उनकी पत्नी राबड़ी देवी का कार्यकाल भी शामिल है, क्योंकि वो तो सिर्फ रबर स्टांप थीं) न जाने कितने ईमानदार अधिकारियों को शंटिंग में भेज दिया इसकी गवाही बिहार के लोग और प्रशासनिक अधिकारी देंगे।
नक्सलियों द्वारा सीआरपीएफ के जवानों को घात लगाकर हमले किए जाने पर ऐसे बुद्धिजीवी औरं नेता अपनी जवान खोलना तक गंवारा नहीं करते। ये सभी घृणा के पात्र बन चुके हैं। इनपर अब दया नहीं आती आक्रोश आता है इनकी दोगली नीतियों को लेकर।
इन सबको हर तरह के अपराधों में लिप्त कुकर्मी नेताओं, बुद्धिजीवियों से कोई परहेज नहीं Narendra Modi और Rashtriya Swayamsevak Sangh : RSS का नाम सुनते ही पैंट गीली होने लगती है। इनका मुख्य केंद्र #जेएनयू है।
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