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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

भारत जब वियतनाम को आकाश और ब्रह्मोश मिसाइल बेचेगा तब चीन की बौखलाहट देखने वाली होगी

 हरेश कुमार
      
                          

ताइवान के मंत्रियों की भारत यात्रा को लेकर चीन के नेताओं और सरकारी समाचारपत्र का तल्ख रवैया दुनिया ने देखा। चीन का सरकारी समाचारपत्र ग्लोबल टाइम्स भारत को ताइवान से दूर रहने और एक चीन पॉलिसी को अपनाने की बात कर रहा है और वहीं दूसरी तरफ यह भारत के कट्टर दुश्मन और आतंकियों को पनाह व प्रशिक्षण देने वाले पाकिस्तान को हर तरह की आर्थिक मदद दे रहा है। चीन के नेता अभी भी 1962 के युग में जी रहे हैं। चीन के नेताओं को लगता है कि वे भारत को धमकाकर दक्षिण एशिया में महाशक्ति बन सकते हैं, लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि भारतीय नेतृत्व चीन को उसकी ही भाषा में जवाब देने की पुरजोर तैयारी में लगा है।


आने वाले समय में भारत वियतनाम को आकाश और ब्रह्मोश मिसाइल बेचने की तैयारी में है। चीन
पाकिस्तान द्वारा पाला-पोसा और संरक्षित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्‍मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्‍त राष्‍ट्र के आंतकियों की सूची में शामिल करने के भारत के लंबे अर्से से चले आ रहे प्रयासों को लगातार चीन ने धक्का दिया है। इतना ही नहीं एनएसजी में की सदस्यता पर भी चीन का रुख आलोचनाओं का कारण बना है।


भारत का विरोध और पाकिस्तान का हर मोर्चे पर समर्थन के साथ-साथ इस क्षेत्र में भारत को उभरने न देने के चीन के रुख को देखते हुए भारत अपने लिए कदम उठाने पर मजबूर हो रहा है। सामरिक दृष्टि से दबाव बनाने के लिए भारत भी चीन को चीन की भाषा में जवाब देने की कोशिश में है।


इस प्रयास को अमलीजामा पहनाने के लिए भारत ने जापान, मंगोलिया और वियतनाम से रणनीतिक और सैन्‍य साझेदारी बढ़ाने के प्रयास और तेज कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, ऐसी चर्चा जोरों पर है कि भारत पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित आकाश मिसाइल को लेकर वियतनाम से बातचीत कर रहा है।  जरूरत के हिसाब से भारत वियतनाम को यह मिसाइल बेच सकता है।


आकाश मिसाइल 30 किलोमीटर के दायरे में एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्‍टर और ड्रोन को निशाना बना सकती है। वियतनाम ने आकाश मिसाइल में गहरी रुचि दिखाई है। इससे पहले भारत ने वियतनाम को ब्र‍ह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और वरुणास्‍त्र एंटी सबमरिन भी ऑफर की थी। जानकारी के अनुसार, भारत इस साल से सुखोई 30एमकेआई लड़ाकू विमानों से वियतनाम के फाइटर पायलेट्स को प्रशिक्षण भी देगा। भारत तीन साल से वियतनामी सेलर्स को किलो क्‍लास पनडुब्‍बी चलाने का प्रशिक्षण दे रहा है।


भारत और वियतनाम के बीच जुलाई 2007 में रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने को लेकर समझौता हुआ था। इसके बाद सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान इसे विस्‍तार दिया गया था। इस यात्रा में पीएम मोदी ने वियतनाम के लिए 500 मिलियन डॉलर के क्रेडिट का एलान किया था।


दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के चलते भारत की तरह अन्य पड़ोसी देश जैसे वियतनाम, जापान काफी चिंतित हैं और ये सभी देश सैन्य क्षमता को मजबूत करने के विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं। इस प्रयास के तहत वियतनाम रूस से किलो क्लास पनडुब्‍बी और सुखोई लड़ाकू विमान ले रहा है।

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