हरेश कुमार
टीचर:आपको सारी चीज़ें स्कूल से ही लेनी होंगी, जैसे books, uniform, shoes, belt, etc
पिता: और education ?
टीचर: उसके लिए आप बाहर tution लगा लेना..
पिता: और education ?
टीचर: उसके लिए आप बाहर tution लगा लेना..
आज के एजुकेशन का नंगा सच है ये। स्कूल पढ़ाई का सेंटर नहीं, बल्कि बिजनेस सेंटर बनकर रह गया है। नेताजी का ब्लैकमनी और सत्ता का सहयोग मिलने के बाद यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। आप किसी भी स्कूल के मैनेजमेंट को देखें किसी न किसी नेता या उसके नजदीकी रिश्तेदारों के नाम से चल रहा है यह सब। स्कूल ही नहीं निजी हॉस्पिटल की भी यही कहानी है। तभी तो मरीज मर जाता है और उसे ऑक्सीजन मास्क लगाकर कई दिनों तक बिल बनाते रहते हैं। सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का। इन्हें मालूम है कि नेताजी के रहते पुलिस-प्रशासन हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकती। तभी बुखार के पेशेंट को भी इतना सारा जांच लिखते हैं कि पूछिए मत। एक तरफ बेचारा (परिस्थिति का मारा) अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित होता है और डॉक्टर को भगवान समझता है तो वहीं दूसरी तरफ उस डॉक्टर और अस्पताल के लिए यह एक ऐसा दुधारू गाय होता है जिसे जितनी मर्जी उतना दुह लो। बेचारा परिस्थिति का मारा है, कुछ नहीं कहता। जान बची लाखों पाए सोचकर मरीज सबकुछ जानते हुए भी सहता रहता है, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में धक्का खाने की उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी होती है। समय बचाने के लिए वह प्राइवेट अस्पताल आता है और यहां से कर्दजार बनकर वापस जाता है। इस देश में निजी एकाध अस्पतालों को छोड़ दें तो सभी धंधा का अड्डा बन चुका है। ऐसा नहीं है कि सभी चिकित्सक व शिक्षक धंधा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत को देखें तो अपवादों को छोड़कर अधिकांश धंधे में ही लगे हैं।
किसी अच्छे डॉक्टर को पकड़ो और फिर उसे अपने यहां रखो या फिर किसी डॉक्टर की अच्छी प्रैक्टिस चल रही है तो उसे साथ लेकर 50-50 में धंधा शुरू कर दो। हॉस्पिटल की देख-रेख नेताजी और उनके संबंधियों के जिम्मे और प्रैक्टिस का जिम्मा डॉक्टर का। धंधा 50-50
रोड कंस्ट्रक्शन से लेकर अन्य सभी धंधों में नेताजी की हिस्सेदारी दिए बगैर आप काम कर ही नहीं सकते, चाहे आप इंटरनेशनल लेवल के हों। लोकल टैक्स अलग से लगेगा ही और वो नेताजी व स्थानीय अपराधी की हैसियत के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है।
तभी एक नेता जो चुनावों से पहले स्कूटर की हैसियत बमुश्किल रखता है वह कुछ ही दिनों में देखते-देखते अरबपतियों की सूची में आ जाता है। प्रधानमंत्री Narendra Modi PMO India Arun Jaitley ने राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे में यह प्रावधान लागू किया है कि 2000 रुपए से अधिक के चंदे चेक से दिए जाएंगे, लेकिन 2000 रुपए तक आप ऐसे ही दे सकते हैं। आप बताओ अगर आपकी सोच राजनीतिक गंदगी दूर करने की होती तो आप राजनीतिक दलों को इलेक्शन कमीशन से पैसा दिलाकर चुनाव में जाने को बाध्य न करते?
इस देश में कोई भी राजनीतिक दल आ जाए, राजनीतिक गंदगी व दलाली को दूर करना उसके बूते की बात नहीं। चेहरे बदल जाते हैं, तौर-तरीके भले बदल जाएं, लेकिन दलाली नहीं रोक सकते, क्योंकि दलाली इनके खून में समा चुका है और उसे रिसाइक्लिंग करना इनके बूते की बात नहीं और न ऐसी इच्छाशक्ति है। इस देश में इतने सारे किंतु-परंतु है कि अगर आपको सही से बिजनेस करना है तो किसी नेताजी को पकड़ो उसे पार्टनर बनाओ और फिर सारा झंझट उनपर छोड़ दो। वरना चप्पल घिस जाएगी, और आपको हार करके फिर से वही प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी।
कांग्रेस पार्टी द्वारा स्थापित परंपरा को अन्य पार्टियां बढ़ा रही है। कोई भी पार्टी इसमें सुधार नहीं चाहती है। सबसे अपने हित छुपे हुए हैं। अगर सरकारी कंपनियां सही हो गई तो फिर इनके धंधों का क्या होगा, जिसके लिए ये राजनीति में आए हैं। तभी तो सभी पार्टियों में अपराधियों की पूछ है।
हत्या, बलात्कार, रंगदारी, पॉकिटमारी, चोरी-छिनतई करके कई लोग राजनीति में ऊंचे पदों पर हैं और अपने ऊपर लगे आरोपों को विरोधियों की साजिश कहते नहीं थकते, जबकि हकीकत इन्हें और स्थानीय जनता सबको पता है, लेकिन प्रशासन की मदद से तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करके ये बाइज्जत बरी हो जाते हैं। अदालतों में संवैधानिक पदों पर बैठे हुए जजों को भी वास्तविक स्थिति पता है, लेकिन कानून कहता है कि सबूत के बगैर किसी को आप सजा दे नहीं सकते और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने से इन अपराधियों को आप रोक नहीं सकते, क्योंकि सभी मिले हुए हैं जी और जो लोग विरोध करते हैं वो या तो मारे जाते हैं या फिर ऐसी स्थिति के शिकार हो जाते हैं कि अपने लोग भी उनका साथ नहीं दे पाते हैं। सबकी अपनी समस्यायें हैं।
Aam Aadmi Party ने लोगों की इसी दुखती रग को पकड़कर राजनीति में प्रवेश किया, लेकिन आज वह स्थापित सभी दलों से गंदी हो चुकी है और इसके नेता Arvind Kejriwal का कोई भरोसा नहीं रह गया। एक तरह से यह बेपेंदी का लोटा हो गया है और महत्वाकांक्षा इतनी की पूछिए मत। सिर्फ Narendra Modi और Rashtriya Swayamsevak Sangh : RSS को गाली देना व मुस्लिम तुष्टिकरण को और बढ़ावा देना इसका एकमात्र एजेंडा रह गया है और बात यह इंसान से इंसान के भाईचारा का करता है।
जिस देश में लोग जाति-धर्म, संप्रदाय और इलाकों के रहवासियों में बंटें हों उनको आपस में लड़ना कोई बड़ी बात नहीं और नेताजी व विभिन्न दल इसी ब्रह्मास्त्र का प्रयोग सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं।
जिस देश में लोग जाति-धर्म, संप्रदाय और इलाकों के रहवासियों में बंटें हों उनको आपस में लड़ना कोई बड़ी बात नहीं और नेताजी व विभिन्न दल इसी ब्रह्मास्त्र का प्रयोग सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं।
Indian National Congress Samajwadi Party Rajnath Singh Prakash Javdekar Prakash JavadekarSushma Swaraj Manohar Parrikar Manohar Lal Manish Sisodia Kapil Mishra Dr. Kumar Vishwas
AAP Satyendar Jain Akhilesh Yadav राधा मोहन सिंह Radha Mohan Singh Ramvilash Paswan Lalu Prasad Yadav Nitish Kumar Tejashwi Yadav Giriraj Singh Uma Bharti President of India
AAP Satyendar Jain Akhilesh Yadav राधा मोहन सिंह Radha Mohan Singh Ramvilash Paswan Lalu Prasad Yadav Nitish Kumar Tejashwi Yadav Giriraj Singh Uma Bharti President of India

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