हरेश कुमार
एक ही पिता की दो संतान। एक पढ़ा-लिखा और जिम्मेदार तो दूसरा चोर-उचक्का और गिरहकट। एक समय के बाद तो हालत ये हो जाती है कि मां-बाप भी उसे अपना बच्चा मानने से इनकार कर देता है। भारत और पाकिस्तान में यही अंतर है। भारत जहां अपनी जिम्मेदारियों को समझता है। वहीं, पाकिस्तान जन्म के समय से ही आतंकवाद को पालता और पोसता रहा है। वहां के पढ़े-लिखे लोगों ने सत्ताधीशों के इस कदम की या तो कभी मुखालफत नहीं की या फिर उनकी संख्या इतनी नहीं रही कि उनके आवज को सरकार व सैन्य प्रतिष्ठान सुनें। आज दुनियाभर में पाकिस्तान की पहचान आतंकियों के पनाहगार के तौर पर हो चुकी है। दुनियाभर में कहीं भी कोई आतंकी घटना हो उसमें पाकिस्तानी लिंक जरूर नजर आता है।
रोपे पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए। पाकिस्तान और वहां के आकाओं ने अमेरिका और सऊदी अरब से मिलने वाली राशि का गलत इस्तेमाल किया है आज तक और अब वो उसके हाथ से निकल चुका है। अब उसके पाले-पोसे हुए आतंकी उसी की बात मानने को तैयार नहीं। हद तो तब हो जाती है जब पाकिस्तान के शासक और सेना के जिम्मेदार अधिकारी इसे अपने आतंकियों की कारस्तानी मानने की बजाए भारत पर तोहमत मढ़ने लगते हैं और वहां की जनता इनके झांसे में भी आ जाती है, क्योंकि मदरसों और धर्म गुरुओं ने वहां के अवाम के दिलोदिमाग में भारत और हिंदू धर्म के खिलाफ जो जहर घोला है इसके बाद वो सही बात सुनने को तैयार नहीं।
दुनियाभर में मशहूर सूफी संत लाल शाहबाज कलंदर की पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मौजूद दरगाह पर गुरुवार (16 फरवरी, 2017) शाम फिदायीन हमला हुआ। इसमें करीब 100 जायरीनों की मौत हो गई और 250 से ज्यादा घायल हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली है। ब्लास्ट के वक्त दरगाह पर कलंदर जलसा चल रहा था। 4 महीने पहले भी बलूचिस्तान प्रांत में एक दरगाह को निशाना बनाया गया था। हमलावर ने पहले ग्रेनेड फेंका औरइसके बाद खुद को उड़ा दिया। इस तरह के जुनूनी लोग हैं और हर उस मूर्ति पूजा करने वालो को खत्म कर देना चाहते हैं, क्योंकि उनके अल्लाह के अनुसार, मूर्ति पूजा इस्लाम के उसूलों के खिलाफ है। ये कैसा इस्लाम है।
पाकिस्तान में आज आप एक भी ऐसा संस्थान बता सकते हैं जो एजुकेशन, मेडिकल या टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कार्य कर रहा हो। वहां का परमाणु बम भी दूसरे देश की तकनीक और सहायता पर निर्भर है। भारत के विरोध में पाकिस्तान इतने हद तक चला गया है कि आज उसने अपने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को भी चीन के हवाले कर दिया। आज भले ही उसे ये लग रहा हो कि चीन उसका मित्र देश है, लेकिन जो लोग चीन की वास्तविकताओं को जानते हैं उन्हें मालूम है कि चीन किसी का मित्र नहीं हो सकता। वह विस्तारवादी नीति का पोषक है।
जवाहरलाल नेहरू की पंचशील नीति को धोखा देकर चीन ने 1962 में हमारी पीठ में छुरा भोंका और आजतक वह इस काम में लगा है। चीन हर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को नीचा दिखाने की कोशिश में रहता है।
भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक साथ 104 रॉकेट को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया तो चीन के सरकारी अखबार Global Times ने अपने संपादकीय में लिखा- भारत अभी चीन और अमेरिका से काफी पीछे है। इससे चीन की किरकिरी ही हो रही है पूरी दुनिया में।
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