शरद पवार को पद्मविभूषण दिया जाना भाजपा की राजनीतिक जरूरतों को स्पष्ट करता है। कहने को तो भारत विश्व का सबसे बड़ा और सफल प्रजातंत्र है, लेकिन नेताओं की कथनी और करनी में अंतर के कारण कई बार हम सबका सिर शर्म से झुक जाता है। यहां के नेता राजनीतिक जरूरतों के अनुसार, किसी को भ्रष्ट और किसी को पाकसाफ बताते रहते हैं। लोकसभा चुनाव के समय वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी बीजेपी की ओऱ से पीएम कैंडिडेट थे और उन्होंने महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा ही नहीं, पूरे राज्य में अपनी हर सभा में शरद पवार की नेशनल कांग्रेस पार्टी (NCP) को Natural Corrupt Party कहा था।
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का चुनाव पूर्व गठबंधन था और पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। इसके नेता देवेंद्र फडनणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। बीजेपी को 288 सदस्यीय विधानसभा में 122 सीट मिली जबकि सहयोगी शिवसेना को 63, कांग्रेस पार्टी को 42 सीट तो एनसीपी को 41 और 7 सीटों पर निर्दलीय विजय रहे बाकी सीट पीडब्ल्यूपी को 3, बीवीए को 3, ओवैसी की पार्टी को 2, राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस को 1, आरएसपी को 1, सीपीआई (एम) को 1, बीबीएम को 1 और समाजवादी पार्टी को 1 सीट मिली।
दो-तिहाई बहुमत के लिए भारतीय जनता पार्टी को शिवसेना से गठबंधन बरकरार रखना राजनीतिक जरूरत है, लेकिन बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिव सेना का पहले जैसा प्रभाव अब नहीं रहा। हालांकि, पार्टी के नेता हमेशा अपनी बात मनवाने में लगे रहते हैं और यही कारण है कि गठबंधन के बीच आए दिन खटास देखने को मिलता रहता है। इन सबको देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से मेलजोल बनाए रखना चाहती है, ताकि भविष्य में अगर किसी तरह की बार्गेनिंग की स्थिति आए तो शिवसेना पर लगाम लगाया जा सके। यह महाराष्ट्र की राजनीतिक दलों की आपसी सियासत है।
कांग्रेस और एनसीपी के शासनकाल में शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के सिचाई मंत्री रहे अजीत पवार का नाम घोटालों में सामने आया है। यह घोटाला 70,000 करोड़ रुपए से अधिक का है। लेकिन भाजपा के सत्ता ग्रहण करने के बाद से इसपर सभी ने चुप्पी साध ली, जबकि यही दल चुनावों से पहले सत्ता में आने पर सिचाई घोटाला में शामिल नेताओं और अधिकारियों को सजा दिलाने की बात कह रहा था। भारत की राजनीति को देखते हुए अब किसी भी व्यक्ति को इन सब पर आश्चर्य नहीं होता है।
बिहार में आप जेडीयू नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच फिर से बातचीत को इसी अंदाज में देख सकते हैं। जबकि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने की चाहत मन में लिए 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। यहां तक कि नरेंद्र मोदी को बीजेपी की ओर से पीएम कैंडिडेट बनाए जाने के बाद बिहार सरकार से उनके सम्मान में दिए जाने वाले भोज को भी रद्द कर दिया था। इससे वे अल्पसंख्यकों के बीच अपनी छवि बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे।
हालांकि, लोकसभा चुनाव में जेडीयू (2 सीट) को मिली पराजय के कारण वो जमीन पर आ गए और विधानसभा के चुनाव से पहले अपने धुर विरोधी लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाने से भी गुरेज नहीं किया। जबकि इसी लालू प्रसाद यादव के जंगलराज का नारा देकर वो दो बार भारतीय जनता पार्टी की मदद से सत्ता में रह चुके थे। इस देश की राजनीति और नेता कब किसके साथ हो लें, पक्के से कोई नहीं कह सकता है।
हालांकि, लोकसभा चुनाव में जेडीयू (2 सीट) को मिली पराजय के कारण वो जमीन पर आ गए और विधानसभा के चुनाव से पहले अपने धुर विरोधी लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाने से भी गुरेज नहीं किया। जबकि इसी लालू प्रसाद यादव के जंगलराज का नारा देकर वो दो बार भारतीय जनता पार्टी की मदद से सत्ता में रह चुके थे। इस देश की राजनीति और नेता कब किसके साथ हो लें, पक्के से कोई नहीं कह सकता है।
BJP (122) SS (63) INC (42) NCP (41) PWP (3) BVA (3) AIMIM (2) MNS (1) RSP (1) CPI(M) (1) BBM (1) SP (1) Independent (7)
रामविलास पासवान कभी अपने साथ में ओसामा बिन लादेन के हमशक्ल को लेकर घूमते थे, ताकि अल्पसंख्यकों का वोट हासिल कर सके। लेकिन पिछले लोकसभा में जबरदस्त हार मिली थी और इस कारण से वे नरेंद्र मोदी के साथ आ गए और एक बार फिर से उनकी पार्टी ने जीत का स्वाद चखा। फिलहाल वे केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन पहले वाली स्थिति नहीं रही। वरना कभी रेल मंत्री तो कभी स्टील मंत्री रहते उन्होंने जमकर गुल खिलाए थे। एक समय ऐसा भी था कि उनके रेलमंत्री रहते हुए पटना, महेंद्रू मुहल्ला स्थित हरिजन हॉस्टल में रेलवे में नियुक्ति के लिए बोली लगा करती थी।
बिहार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख के आरक्षण पर दिए बयानों के बाद लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने इसे जमकर भुनाया और नतीजा भारतीय जनता पार्टी को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। लालू प्रसाद यादव की पार्टी को विधानसभा में नीतीश कुमार की जेडीयू से 5 सीटें अधिक मिली, लेकिन चुनाव पूर्व गठबंधनऔ र अपनी राजनीतिक जरूरतों को देखते हुए उन्होंने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का पद दे दिया और बदले में अपने छोटे पुत्र को उप-मुख्यमंत्री और बड़े पुत्र को स्वास्थ्य मंत्री बनाया। इधर नीतीश कुमार ने भी विधानसभा अध्यक्ष का पद अपनी पार्टी के पास रखा, ताकि जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग किया जा सके। दोनों सत्ता में सहयोगी तो बन गए, लेकिन नीतीश कुमार की छवि को इससे गहरा आघात लगा। कभी मीडिया की बदौलत सुशासन बाबू के नाम से चर्चित नीतीश कुमार अब आए दिन लालू प्रसाद और इनके सहयोगियों की करतूतों से मन ही मन खिन्न रहने लगे।
इधर भारतीय जनता पार्टी मौके की ताक में चुनाव बाद से ही है, तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार भी अब मान चुके हैं कि नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति में अब स्थापित हो चुके हैं और बगैर केंद्र की आर्थिक सहायता के राज्य के विकास कार्यों को गति देना संभव नहीं। भारतीय जनता पार्टी से मोलजोल रखने पर लालू प्रसाद यादव की पार्टी को भी काबू में रखा जा सकता है, क्योंकि अगर लालू प्रसाद यादव ने ज्यादा कमान कसने की कोशिश की तो नीतीश कुमार पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन बना सकते हैं और यह एक नेचुरल गठबंधन की तरह रहेगा। इन्हीं सब कारणों से अब नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी में चुनाव पूर्व तल्खी नहीं रही और दोनों खुले हृदय से एक-दूसरे का स्वागत कर रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव वास्तविक स्थितियों से परिचित हैं, इसलिए ज्यादा कुछ कह या करने की स्थिति में नहीं रहे। उन्हें मालूम है कि अगर हमने कमान कसने की थोड़ी-सी भी कोशिश की तो सत्ता हाथ से जाएगी ही, राज्य से भी पार्टी का सूपड़ा एक बार फिर से साफ हो जाएगा। इसलिए जहां तक हो सके, गठबंधन धर्म का निबाह करना है। फिलहाल नीतीश कुमार इन सबके मजे ले रहे हैं।
इधर भारतीय जनता पार्टी मौके की ताक में चुनाव बाद से ही है, तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार भी अब मान चुके हैं कि नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति में अब स्थापित हो चुके हैं और बगैर केंद्र की आर्थिक सहायता के राज्य के विकास कार्यों को गति देना संभव नहीं। भारतीय जनता पार्टी से मोलजोल रखने पर लालू प्रसाद यादव की पार्टी को भी काबू में रखा जा सकता है, क्योंकि अगर लालू प्रसाद यादव ने ज्यादा कमान कसने की कोशिश की तो नीतीश कुमार पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन बना सकते हैं और यह एक नेचुरल गठबंधन की तरह रहेगा। इन्हीं सब कारणों से अब नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी में चुनाव पूर्व तल्खी नहीं रही और दोनों खुले हृदय से एक-दूसरे का स्वागत कर रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव वास्तविक स्थितियों से परिचित हैं, इसलिए ज्यादा कुछ कह या करने की स्थिति में नहीं रहे। उन्हें मालूम है कि अगर हमने कमान कसने की थोड़ी-सी भी कोशिश की तो सत्ता हाथ से जाएगी ही, राज्य से भी पार्टी का सूपड़ा एक बार फिर से साफ हो जाएगा। इसलिए जहां तक हो सके, गठबंधन धर्म का निबाह करना है। फिलहाल नीतीश कुमार इन सबके मजे ले रहे हैं।
Natural Corrupt Party (Nationalist Congress Party - NCP) समय आने पर Natural Co-Operative Party with #BhartiyaJantaParty बन जाती है।
महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरणों को देखेंगे तो पाएंगे कि शरद पवार Sharad Pawar की पार्टी Nationalist Congress Party - NCP का Narendra Modi और #BJP के लिए कितना महत्व है। आए दिन ShivSena और इसके नेता Udhav Thakre खड़ी करते रहते हैं, ऐसी स्थिति में पद्मविभूषण से नवाज कर BJP Delhi अपने लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर रखना चाहती है। महाराष्ट्र के सिचाई मंत्री रहते Ajit Pawar पर कई हजार करोड़ के घोटाला का आरोप है, लेकिन आज तक कोई जांच नहीं हुई। लोकसभा चुनाव के समय PMO India इस पार्टी को Natural Corrupt Party खहकर संबोधित करते थे, लेकिन चुनाव बाद बदले समीकरणों के बाद ये पार्टी उनकी जरूरत बन गई है। बिहार में Nitish Kumar के साथ नमस्कार बात इसी का उदाहरण है। एक-दूसरे की राजनीतिक जरूरत पूरी करने के लिए नेतागण आपस में असंवैधानिक गठजोड़ भी अगर हो तो कर लेते हैं। Amit Shah Rashtriya Swayamsevak Sangh : RSS Devendra Fadnavis BJP MaharashtraCMOMaharashtra #Bihar #LaluPrasadYadav









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