युगपुरुष और ईमानदारी के प्रतीक Arvind Kejriwal राजनीति से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को खत्म करने के नारे के साथ दिल्ली की राजनीति में धूमकेतु की तरह आए थे। उन्होंने शीला दीक्षित और उनके सहयोगियों को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजने का जनता से वादा किया था।
कॉमनवेल्थ खेल आयोजन में शीला दीक्षित और उनके सहयोगियों के खिलाफ इनके पास 370 पेज का सबूत हुआ करता था। फिर उसी शीला दीक्षित और कांग्रेस की सहायता से पहली बार दिल्ली की सत्ता पाते ही सारे सबूतों को इन्होंने यमुना में प्रवाहित कर दिया।
आज की तारीख में ऐसा ही सबूत पंजाब में सत्ताधारी अकाली दल और भाजपा गठबंधन के खिलाफ है। ऐसा नहीं है कि पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टियां पाकसाफ है और इन्होंने भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण नहीं दिया हो, लेकिन अरविंद केजरीवाल जी आपकी विश्वसनीयता पूरी तरह खत्म हो चुकी है। आपने हम सबकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। पहली बार किसी गैर-राजनीतिक व्यक्ति पर देशभर के लोगों ने विश्वास किया था। लेकिन आपके राजनीतिक दोगलापन ने आपके चेहरे से नकाब को पूरी तरह से उतार दिया है। अब आप भी अन्य दलों और नेताओं की श्रेणी में हो।
इतना ही नहीं तुष्टिकरण और भ्रष्टाचारियों को समर्थन देने में आप कांग्रेस पार्टी के नेताओं से भी दो कथम आगे निकले।आपको दादरी में अखलाक की हत्या दिखी, लेकिन दिल्ली में ही डॉक्टर पंकज नारंग की हत्या आपको और आपकी जेबी पार्टी को न दिखी।
आप तो इंसान से इंसान का हो भाईचारा का नारा दे रहे थे। खैर छोड़िए। आपके चेहरे से नकाब उतरने से शुरुआत में विश्वास शब्द भी अपने आप को ठगा महसूस करने लगा, लेकिन इस देश की राजनीति में पहले भी ऐसे-ऐसे राजनीतिज्ञ हुए हैं, सो मन को समझाया।
इसी देश में आप ही की तरह ठगों के सरदार, बगुला भगत एक और नेता हुए थे। नाम था-विश्वनाथ प्रताप सिंह। (अब स्वर्गीय) नारा दिया था-राजा नहीं फकीर है, इस देश की तकदीर है। बोफोर्स तोप खरीद में घोटाला हुआ था और इनके हाथ तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (अब स्वर्गीय) के कथित तौर पर शामिल होने के पक्के सबूत थे। इन सबूतों के दम पर वो 11महीनों तक देश के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन अंत-अंत तक खुलासा न कर सके। पता नहीं आपकी ही तरह उनकी कांग्रेस पार्टी और उसके कर्ताधर्ताओं से कोई डील हो गई हो। कह नहीं सकता।जाते-जाते इस फकीर ने देश को आरक्षण की ऐसी आग में झोंका जिससे यह देश आने वाले समय में शायद ही ऊबर सके।इतना ही नहीं इस व्यक्ति ने जामा मस्जिद के ईमाम को अपने राजनीतिक लाभ के लिए जीभर कर इस्तेमाल किया।
प्रजातंत्र के बारे में कहा जाता है कि यह मूर्खों का शासन है।यह काफी हद तक सही भी है।अपने बाहुबल, दबंगई और वोटों के दम पर इस देश ने न जाने कितने हत्यारों, बलात्कारियों और पॉकिटमारों को संसद,विधानसभा में प्रवेश करते ही नहीं मंत्री और भाग्यविधाता बनते हम सबने देखा है।
अगर, सैकड़ों साल पहले किसी ने किसी को दबाया, उस पर अत्याचार किए तो उसका बदला आप उसकी संतानों से लेंगे। कानून की किसी किताब में ऐसा नहीं लिखा है कि अगर बाप-दादा ने गलती की है, तो उसकी सजा उसकी आने वाली संतानों को ही नहीं पीढ़ी दर पीढ़ी की संतति को भुगतनी होगी। जबकि आरक्षण के नियम लागू करने से ऐसा हो रहा है। कितने ऐसे लोग हैं, जो आजादी के बाद से ही इसका लाभ ले रहे हैं और अपने ही भाई-बंधुओं को इस लाभ से वंचित कर रहे हैं। ऐसे में तो हजारों सालों में यह खाई पटने की बजाए और गहरी होती चली जाएगी।
आपको सच में किसी की मदद करनी है तो सभी को सरकारी खर्चों पर एकसमान शिक्षा और स्वास्थ्य मुहैया कराइए, लेकिन आप सबकी मंशा तो राजनीतिक लाभ लेना और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी है, सो आपको किसी की पीड़ा से क्या?
मैं बात कर रहा था अरविंद केजरीवाल और उसके राजनीति की और फिर वीपी सिंह और आरक्षण पर आ गया। आप अगर ठंडे दिमाग से सोचेंगे तो सब आपस में एक-दूसरे से इस कदर जुड़े हुए हैं कि चर्चा स्वाभाविक हो जाती है।
ये सब लिखने का एकमात्र कारण था-युगपुरुष और ईमानदारी के तारणहार, राजनीतिक परिवर्तन के मसीहा का अपने पार्टी को मिलने वाले चंदों का ब्योरा पार्टी की वेबसाइट से हटाना। इसके पीछे पार्टी और इसके नेता वेबसाइट का मेंटेनेंस भले बताएं, लेकिन यह पूरी तरह फर्जी है। सच कहिए तो दाल में काला नहीं, पूरी दाल काली है।
नियमों के मुताबिक किसी भी राजनीतिक दल को 20 हजार रुपए से ज्यादा का चंदा देनेवालों का विवरण चुनाव आयोग को सौंपना होता है। लेकिन आम आदमी पार्टी ने ऐसा नहीं किया है। इसके साथ ही पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर से सभी दानदाताओं का नाम हटा लिया है।
सर, आप तो राजनीति से भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर सत्ता में आए थे। आपने कहा था कि राजनीतिक गंदगी को साफ करने के लिए हमें नाले में उतरना होगा। राजनीतिक दलों द्वारा भ्रष्टाचारियों से चंदा लेने की बात कहने वाले आप खुद ऐसे क्यों करने लगे। आपने देश को निराश किया है। दुख इस बात का है कि कभी हम अन्ना के बुलावे पर आपको सुनने जाया करते थे। तुष्टिकरण के मामले में आप तो कांग्रेस के भी बाप निकले। आपसे कोई उम्मीद नहीं देश की जनता को।
Expressing disappointment at AAP's degeneration, Anna has indicted the party for its deviation from the principles of probity & transparency
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Yogendra Yadav
@_YogendraYadav
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