यह मुल्ला जी की गाय है। गंगातीरी नस्ल की। मुल्ला जी दूध का कारोबार करते हैं। भैंसे पाल रखी हैं लेकिन साथ में यह इकलौती श्यामा गाय भी है। आसपास पूरी बस्ती हिन्दुओं की है इसलिए गाय का दूध खरीदनेवाले आते रहते हैं। सो मुल्ला जी ने यह अतिरिक्त जानवर पाल लिया।
यह भैंसों के साथ नहीं रहती। बाहर रहती है। पूरा मोहल्ला मिलकर इसे खिलाता पिलाता रहता है। कभी कोई गाय का अग्रासन ला रहा है तो कभी कोई पूजा का प्रसाद। सिर्फ सानी छोड़ दें तो गाय का सारा राशन पानी मुहल्ले से ही चलता है। श्यामा बहुत शांत स्वभाव की है। कोई ऊपर भी बैठ जाए तो उफ नहीं करती। बच्चों से तो जैसे इसे खास लगाव है।
खैर, मुल्ला जी की गाय की जिस कारण से चर्चा कर रहा हूं वह ये सब नहीं हैं। कारण इतना विस्मयकारी है कि पहली दफा में सुनकर मुझे भी यकीन नहीं हुआ लेकिन इतने लोगों ने तस्दीक कर दी कि मानना पड़ा। मुल्ला जी की गाय मुल्ला के हाथ का पानी नहीं पीती। सानी खा लेगी, लेकिन पानी नहीं पियेगी। पानी पिलाने का काम सामने रहनेवाले पंडित जी का परिवार करता है। जब प्यास लगती है तो जाकर उन्हीं के दरवाजे पर खड़ी हो जाती है। कई दफा तो उनके लड़के लाकर उसे पानी पिलाते हैं।
यह ऐसा आश्चर्यजनक प्रसंग है कि सहसा इस पर यकीन करने का मन नहीं करता लेकिन हमारे यकीन करने या न करने से क्या होता है। मुल्ला जी की गाय का जल सत्याग्रह अनवरत जारी है।
Sanjay Tiwari जी की वॉल से साभार
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