हरेश कुमार
कहां तो दावा था देश के पीएम बनेंगे।
कहां नगरनिगम के चुनावों में भी जीत मयस्सर नहीं।।
कहां नगरनिगम के चुनावों में भी जीत मयस्सर नहीं।।
हालात-ए-गम की मार किससे कहें हम हरेश।
इस मोदिया ने तो हमारा जीना हराम कर डाला।।
इस मोदिया ने तो हमारा जीना हराम कर डाला।।
राजनीतिक हमाम में तो
सभी नंगे हैं लेकिन
इ पब्लिक जो कल तक
एक आवाज में
हमारे साथ
धरने पर बैठती थी
आज नोटबंदी के बाद
हालात ए है कि
सब कहके लेने लगे हैं।
अब तू ही बता
इसके बाद भी
कौमा में न जाऊं तो क्या
करूं।
हे भगवान जिस पब्लिक का नाम लेकर
मैंने ये सब ड्रामा किया था
वही पब्लिक अब हमारे साथ नहीं है।
अब एक तेरा ही सहारा है मेरे मालिक
या तो इस राजनीतिक दुनिया से उठा ले
या फिर मुझको मेरा पद दिला दे।
है मुश्किल लेकिन इतना भी नहीं
जो हल न हो सके।
अब तू ही बता क्या करूं
मैं ऐ मेरे मालिक।
या तो मुझे गद्दी नसीब दे
या फिर इस जलालत की जिंदगी से मुक्ति दे दे।
मेरे मौला, मेरे वोटर, मेरी दुआ कबूल कर।
सभी नंगे हैं लेकिन
इ पब्लिक जो कल तक
एक आवाज में
हमारे साथ
धरने पर बैठती थी
आज नोटबंदी के बाद
हालात ए है कि
सब कहके लेने लगे हैं।
अब तू ही बता
इसके बाद भी
कौमा में न जाऊं तो क्या
करूं।
हे भगवान जिस पब्लिक का नाम लेकर
मैंने ये सब ड्रामा किया था
वही पब्लिक अब हमारे साथ नहीं है।
अब एक तेरा ही सहारा है मेरे मालिक
या तो इस राजनीतिक दुनिया से उठा ले
या फिर मुझको मेरा पद दिला दे।
है मुश्किल लेकिन इतना भी नहीं
जो हल न हो सके।
अब तू ही बता क्या करूं
मैं ऐ मेरे मालिक।
या तो मुझे गद्दी नसीब दे
या फिर इस जलालत की जिंदगी से मुक्ति दे दे।
मेरे मौला, मेरे वोटर, मेरी दुआ कबूल कर।
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