हरेश कुमार
कुत्तों की दुम सीधी होने से रही, फिर इनकी वोटों की फसल का क्या होगा?
जो लोग दिल्ली में दिन के उजाले में हुए एनकाउंटर पर आज तक उंगली उठाकर वोटों की फसल काटते रहे हैं वो लखनऊ में हुए एनकाउंटर पर प्रश्नचिह्न कैसे न उठाए, इनकी तो रोजी-रोटी ही ऐसे चलती है। आखिर, इनकी आदत तो जाने से रही, वर्षों से सींचा है ऐसे कैसे सुधर जाएंगे। इन सबकी सुरक्षा में लगे पुलिस जवान भी दिनभर गाली देते होंगे।
बटला हाउस एनकाउंटर और मोहन चंद्र शर्मा की शहादत पर प्रश्नचिह्न उठाने वाले Digvijaya Singhऔर Kapil Mishra जैसे नेता पीछे कैसे रह जाएंगे। ऐसे लोगों की राजनीति का आधार ही आतंकियों को बढ़ावा देना व मुस्लिम तुष्टिकरण रहा है।
दिन के उजाले में दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर पर भी कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, अमर सिंह और आप के कपिल मिश्रा ने उंगली उठाई थी। फिर सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने और भोपाल पुलिस की कार्रवाई में 8 आतंकियों के मारे जाने को ये कैसे पचा पाएंगे। साहब वोट बैंक की और तुष्टिकरण की राजनीति का फिर क्या होगा?
19 सितंबर 2008
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के नेतृत्व में विशेष टीम और जामिया नगर के बटला हाउस के एल-18 मकान में छिपे इंडियन मुजाहिद्दीन के कथित आतंकवादियों में मुठभेड़ हुई।
मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए, दो गिरफ़्तार किए गए और एक फरार हो गया। इन्हें दिल्ली धमाकों के लिए ज़िम्मेदार बताया गया। मुठभेड़ में घायल इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को नजदीकी होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां आठ घंटे इलाज के बाद उनकी मौत हो गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़ उन्हें पेट, जांघ और दाहिने हाथ में गोली लगी थी। उनकी मौत अधिक खून बहने के कारण हुई। पुलिस ने मोहन चंद्र शर्मा की मौत के लिए शहज़ाद अहमद को ज़िम्मेदार ठहराया था।
लखनऊ में मारे गए आतंकी सैफुल्ला के पिता ने शव लेने से किया इनकार
आतंकी सैफुल्ला के पिता सरताज और भाई खालिद ने शव लेने से किया इनकार कहा, नही लेंगे देशद्रोही बेटे का शव
जो देश का नही, वो मेरा नही- आतंकी सैफुल्लाह के पिता
ऐसे पिता को शत-शत बार सलाम।
जय हिंद, जय भारत।
आईएसआई से जुड़े मृत आतंकी के बड़े भाई ने कहा- जिसने चींटी नहीं मारी वो ब्लास्ट क्या करेगा?
- सैफुल्लाह के बड़े भाई खालिद ने बताया, ''मेरे भाई के सपने बहुत बड़े थे। वो पढ़ने में काफी तेज था। एक बार कोई चीज को देख लेता या सुन लेता था तो उसे वो चीज याद हो जाती थी।''
- ''उसे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। स्कूल में पढ़ते समय वो कई बार खेलकूद में प्राइज जीत चुका था। वो जो ठान लेता था, उसे करके ही मानता था। वह कभी किसी पर गुस्सा नहीं करता था। ज्यादा किसी से बात करना पसंद नहीं करता था। उसे हमेशा नया करने का जुनून रहता था। उसे बहका दिया गया होगा, वो ऐसा नहीं कर सकता है। उसने कभी चींटी नहीं मारी, वो बम ब्लास्ट क्या करेगा?''
- ''उसे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। स्कूल में पढ़ते समय वो कई बार खेलकूद में प्राइज जीत चुका था। वो जो ठान लेता था, उसे करके ही मानता था। वह कभी किसी पर गुस्सा नहीं करता था। ज्यादा किसी से बात करना पसंद नहीं करता था। उसे हमेशा नया करने का जुनून रहता था। उसे बहका दिया गया होगा, वो ऐसा नहीं कर सकता है। उसने कभी चींटी नहीं मारी, वो बम ब्लास्ट क्या करेगा?''
ऐसे लोगों का क्या करें, जो आतंकी को आतंकी मानने से इनकार करते हैं।
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