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मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

कोई उम्मीद बर नहीं आती / ग़ालिब

मिर्जा गालिब (मिर्ज़ा असदुल्लाह् बेग़ ख़ान) का जन्म 27 दिसंबर 1797 आगरा में हुआ था। 15 फरवरी, 1869 को दिल्ली में उनका इंतकाल हो गया था। मिर्जा गालिब द्वारा लिखी गई शेरो-शायरी से हम सभी परिचित हैं।



कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती

मौत का एक दिन मु'अय्यन है
नींद क्यों रात भर नहीं आती

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

जानता हूँ सवाब-ए-ता'अत-ओ-ज़हद
पर तबीयत इधर नहीं आती

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
वर्ना क्या बात कर नहीं आती

क्यों न चीख़ूँ कि याद करते हैं
मेरी आवाज़ गर नहीं आती

दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता
बू-ए-चारागर नहीं आती

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

मरते हैं आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नहीं आती


काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुमको मगर नहीं आती

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